बुधवार, 30 सितंबर 2009

मिस्र के पिरामिड
मिस्र के पिरामिड वहां के तत्कालीन फैरो (सम्राट) गणों के लिए बनाए गए स्मारक स्थल हैं, जिनमें राजाओं के शवों को दफनाकर सुरक्षित रखा गया है। इन शवों को ममी कहा जाता है। उनके शवों के साथ खाद्यान, पेय पदार्थ, वस्त्र, गहनें, बर्तन, वाद्य यंत्र, हथियार, जानवर एवं कभी-कभी तो सेवक सेविकाओं को भी दफना दिया जाता था। भारत की तरह ही मिस्र की सभ्यता भी बहुत पुरानी है और प्राचीन सभ्यता के अवशेष वहाँ की गौरव गाथा कहते हैं। यों तो मिस्र में १३८ पिरामिड हैं और काहिरा के उपनगर गीज़ा में तीन लेकिन सामान्य विश्वास के विपरीत सिर्फ गिजा का ‘ग्रेट पिरामिड’ ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में है। दुनिया के सात प्राचीन आश्चर्यों में शेष यही एकमात्र ऐसा स्मारक है जिसे काल प्रवाह भी खत्म नहीं कर सका। यह पिरामिड ४५० फुट ऊंचा है। ४३ सदियों तक यह दुनिया की सबसे ऊंची संरचना रहा। १९वीं सदी में ही इसकी ऊंचाई का कीर्तिमान टूटा। इसका आधार १३ एकड़ में फैला है जो करीब १६ फुटबॉल मैदानों जितना है। यह २५ लाख चूनापत्थरों के खंडों से निर्मित है जिनमें से हर एक का वजन २ से ३० टनों के बीच है। ग्रेट पिरामिड को इतनी परिशुद्धता से बनाया गया है कि वर्तमान तकनीक ऐसी कृति को दोहरा नहीं सकती। कुछ साल पहले तक (लेसर किरणों से माप-जोख का उपकरण ईजाद होने तक) वैज्ञानिक इसकी सूक्ष्म सममिति (सिमट्रीज) का पता नहीं लगा पाये थे, प्रतिरूप बनाने की तो बात ही दूर! प्रमाण बताते हैं कि इसका निर्माण करीब २५६० वर्ष ईसा पूर्व मिस्र के शासक खुफु के चौथे वंश द्वारा अपनी कब्र के तौर पर कराया गया था। इसे बनाने में करीब २३ साल लगे।[१]
म्रिस के इस महान पिरामिड को लेकर अक्सर सवाल उठाये जाते रहे हैं कि बिना मशीनों के, बिना आधुनिक औजारों के मिस्रवासियों ने कैसे विशाल पाषाणखंडों को ४५० फीट ऊंचे पहुंचाया और इस बृहत परियोजना को महज २३ वर्षों मे पूरा किया? पिरामिड मर्मज्ञ इवान हैडिंगटन ने गणना कर हिसाब लगाया कि यदि ऐसा हुआ तो इसके लिए दर्जनों श्रमिकों को साल के ३६५ दिनों में हर दिन १० घंटे के काम के दौरान हर दूसरे मिनट में एक प्रस्तर खंड को रखना होगा। क्या ऐसा संभव था? विशाल श्रमशक्ति के अलावा क्या प्राचीन मिस्रवासियों को सूक्ष्म गणितीय और खगोलीय ज्ञान रहा होगा? विशेषज्ञों के मुताबिक पिरामिड के बाहर पाषाण खंडों को इतनी कुशलता से तराशा और फिट किया गया है कि जोड़ों में एक ब्लेड भी नहीं घुसायी जा सकती। मिस्र के पिरामिडों के निर्माण में कई खगोलीय आधार भी पाये गये हैं, जैसे कि तीनों पिरामिड आ॓रियन राशि के तीन तारों की सीध में हैं। वर्षों से वैज्ञानिक इन पिरामिडों का रहस्य जानने के प्रयत्नों में लगे हैं किंतु अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
रोचक तथ्य
ग्रेट पिरामिड एक पाषाण-कंप्यूटर जैसा है। यदि इसके किनारों की लंबाई, ऊंचाई और कोणों को नापा जाय तो पृथ्वी से संबंधित भिन्न-भिन्न चीजों की सटीक गणना की जा सकती है।
ग्रेट पिरामिड में पत्थरों का प्रयोग इस प्रकार किया गया है कि इसके भीतर का तापमान हमेशा स्थिर और पृथ्वी के औसत तापमान २० डिग्री सेल्सियस के बराबर रहता है। यदि इसके पत्थरों को ३० सेंटीमीटर मोटे टुकड़ों मे काट दिया जाए तो इनसे फ्रांस के चारों आ॓र एक मीटर ऊंची दीवार बन सकती है।
पिरामिड में नींव के चारों कोने के पत्थरों में बॉल और सॉकेट बनाये गये हैं ताकि ऊष्मा से होने वाले प्रसार और भूंकप से सुरक्षित रहे।
मिस्रवासी पिरामिड का इस्तेमाल वेधशाला, कैलेंडर, सनडायल और सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी की गति तथा प्रकाश के वेग को जानने के लिए करते थे।
पिरामिड को गणित की जन्मकुंडली भी कहा जाता है जिससे भविष्य की गणना की जा सकती है।
कुछ लोग पिरामिडों में स्थित जादुई असर की बात भी करते हैं जो मानव स्वास्थ्य पर शुभ प्रभाव डालता है।

पिरामिड का जादुई प्रभाव
कैसे काम करता है पिरामिड
मिस्र के पिरामिड अपने भीमकाय आकार, अनूठी संरचना और मजबूती के लिए तो जगत्‌ प्रसिद्ध हैं ही, लेकिन उससे भी कहीं अधिक प्रसिद्ध हैं अपने जादुई प्रभाव के लिए।
वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा यह प्रमाणित हो गया है कि पिरामिड के अंदर विलक्षण किस्म की ऊर्जा तरंगें लगातार काम करती रहती हैं, जो जड़ (निर्जीव) और चेतन (सजीव) दोनों ही प्रकार की वस्तुओं पर प्रभाव डालती हैं। वैज्ञानिकों ने पिरामिड के इस गुण को 'पिरामिड पॉवर' की संज्ञा दी है। पिरामिड चिकित्सा द्वारा विभिन्न रोगों के उपचार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परीक्षणों से प्राप्त नतीजे इस प्रकार हैं-
* सिर दर्द एवं दाँत दर्द के रोगियों को पिरामिड के अंदर बैठने पर दर्द से छुटकारा मिल जाता है। 'पिरामिड पॉवर' के आधुनिक खोजकर्ता स्वयं बोबिस ने पिरामिड के आकार की टोपी बनाई और पहनकर आजमाया। बोबिस का कहना है कि इसको पहनने से सिर दर्द तो दूर हो ही जाता है, साथ ही कई प्रकार के मानसिक विकार भी दूर हो जाते हैं।
* मानसिक तनाव से परेशान एक युवती ने पिरामिड के अंदर कुछ समय के लिए सोना शुरू कर दिया तो शीघ्र ही वह अच्छी नींद सोने लगी। दरअसल कुछ मिनट के लिए पिरामिड के अंदर बैठने से शरीर का संतुलन ठीक हो जाता है, जिसके चलते तनाव दूर हो जाता है।
* घाव, छाले, खरोच आदि पिरामिड के अंदर बैठने से बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं।
* पिरामिड के अंदर रखे जल को पीने से टॉन्सिल की समस्या से छुटकारा मिलता है, आँखों को धोने से उसकी ज्योति बढ़ती है, पाचन क्रिया में सुधार होता है, घुटनों पर मलने से घुटनों, का दर्द दूर हो जाता है।* एक परीक्षण के दौरान कुत्तों को चौकोर, गोल और पिरामिड के आकार के घरों में रखा गया। बाद में यह पाया गया कि पिरामिड के आकार के घरों में रहने वाले कुत्ते अधिक समझदार, अधिक आज्ञाकारी निकले और उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हो गया।
* पिरामिड के अंदर किसी तरह की आवाज या संगीत बजाने पर बड़ी देर तक उसकी आवाज गूँजती रहती है। इससे वहाँ उपस्थित लोगों के शरीर पर विचित्र प्रकार के कम्पन पैदा होते हैं, जो मन और शरीर दोनों को शांति प्रदान करते हैं।
* जब कोई थका हुआ आदमी कुछ ही मिनटों के लिए पिरामिड में बैठता है, तो उसकी थकान दूर हो जाती है और वह शरीर में एक नई शक्ति का संचार महसूस करता है।
* साधना करने वालों ने पिरामिड के अंदर ध्यान लगाने के बाद दावा किया कि इसके अंदर बैठने से मन बहुत जल्दी एकाग्र हो जाता है। पिरामिड में बैठने से इच्छा शक्ति भी दृढ़ होती है।
* अनिद्रा की बीमारी दूर होती है व शराब पीने की आदत एवं नशीले पदार्थों के सेवन की लत को भी प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी देर के लिए पिरामिड के अंदर बैठकर छुड़ाया जा सकता है।
* प्रतिदिन पाँच से दस मिनट के लिए पिरामिड के अंदर बैठने से इच्छा शक्ति दृढ़ होती है। थके हुए व्यक्ति को सिर्फ दस मिनट के लिए पिरामिड के अंदर बैठा दिया जाए तो उसकी थकावट दूर हो जाती है और वह खुद को तरोताजा अनुभव करने लगता है।
* बीजों को बोने के पहले अगर थोड़ी देर के लिए पिरामिड के अंदर रख दिया जाए तो वे जल्दी और अच्छी तरह से अंकुरित होते हैं। बीमार और सुस्त पौधों को भी पिरामिड द्वारा ठीक और उत्तेजित किया जा सकता है।

कुबेरनाथ राय   (1933 — 1996) कृतियाँ प्रिया नीलकंठी   ( 1969 ) प्रथम निबंध संग्रह  रस आखेटक   ( 1971  ) गंधमादन   ( 1972 ) वि...